जगजीत सिंह की गाई एक ग़ज़ल के दो शेर इन दिनों
मेरे जेहन पर तारी हैं, सोचता हूँ , आपसे बाँट लूं ,
ग़ज़ल किस शायर की हैं, अभी ध्यान नही है ,आपको
याद आये तो ज़रूर बताईयेगा
समझते थे मगर फ़िर भी न राखी दूरियां हमने
चरागों को जलाने में जलाली उंगलियाँ हमने
कोई तितली हमारे पास आती भी तो क्या आती
सजाये तमाम उम्र कागज़ के फूल और पत्तियां हमने
3 comments:
sahra me apne ajm ka
daman na chhodiye,
PAANI KI HAI TALASH
TO PATTHAR NICHODIYE.
wali assi
wali assi
Post a Comment