मेरे प्रिय कथा लेखक उदय प्रकाश जी को कृष्ण बलदेव वैद पुरस्कार देने की घोषणा हुई है ॥ हाल में उन्हें वनमाली पुरस्कार भी दिया गया था...उस प्रोग्राम के समय मेरा दोस्त अभिषेक उनकी कहानी तिरिछ की नाटकीय प्रस्तुति के लिए भोपाल गया था..उसने आके जिस रूप में ये मुझसे बांटा..मुझे बहुत खुशी हुई थी...इस से पहले जयपुर में तिरिछ की प्रस्तुति पर उदय जी स्वयं उपस्थित थे और अभिषेक के निर्देशन में जफ़र खान की उस एकल पेशकश पर उदय जी लगभग अभिभूत हो गए थे..
कलख़बर मिली उनको इस उनको इस पुरस्कार की ...अब इस मौके पर क्या कहूं ...खुश हूँ..लगता है देर आयद दुरुस्त आयद..या फ़िर ये की तमाम मठाधीशों और तथाकथित आलोचकों के दुराग्रहों और 'सुप्रयासों 'के बावजूद अच्छा लेखन गुणवत्ता और पाठकीय प्रेम और स्नेह के कारण स्वीकारा जा रहा है ...वो हमारे समय के हिन्दी के सबसे सजग सफल और संवेदनशील कवि कथाकार हैं ये कहते हुए कोई डर नहीं है...मुझे ये भी पता है मेरे ऐसा कहने पर वो मुझसे नाराज़ भी हो सकते हैं....फ़िर भी ...
एक कविता उनकी इस मौके पे आपसे बाँट रहा हूँ...
सहानुभूति की मांग
आत्मा इतनी थकान के बाद
एक कप चाय मांगती है
पुण्य मांगता है पसीना और आंसू पोंछने के लिए
एक तौलिया
कर्म मांगता है रोटी और कैसी भी सब्जी
ईश्वर कहता है सिरदर्द की गोली ले आना
आधा गिलास पानी के साथ
और तो और
फ़कीर और कोढ़ी तक बंद कर देते हैं
थक कर भीख मांगना
दुआ और मिन्नतों की जगह
उनके गले से निकलती है
उनके ग़रीब फेफड़ों की हवा
चलिए मैं भी पूछता हूं
क्या मांगूं इस ज़माने से मीर
जो देता है भरे पेट को खाना
दौलतमंद को सोना हत्यारे को हथियार
बीमार को बीमारी] कमज़ोर को निर्बलता
अन्यायी को सत्ता
और व्यभिचारी को बिस्तर
पैदा करो सहानुभूति
मैं अब भी हंसता हुआ दिखता हूं
अब भी लिखता हूं कविताएं
(१९९८)
3 comments:
bhai dushyant jee , soochnaa ke liye hardik dhanywaaad, uday jee tak badhaai pahunchaa den hamaaree bhee
uday ji deserve karte hain.infact is se bhee kaheen jyada.mujhe to lagtaa ha is samay bhaarat men noble award ke sachche haqdaar hain wo
sunil singh
delhi
dushyant ji thanks a lot. un tak meri bhi badhai pahuncha de.vanmaali purushkar kee suchna bhi apse hi mili hai unse achchha aur sachcha lekhak hindi men abhi in dinon shayad hee koi ho.
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