
आज सुबह उठा तो मेरे शहर -जो है भी और नहीं भी यानी श्री गंगानगर से एक एसएमएस ने बेहतर दिन की दुआ दी. ये आज खास इसलिए कि शहर बहुत याद आया ..हालाँकि वो दिन शायद ही हो जब मुझे उस शहर की याद न आती हो .. यूँ मेरे बचपन की स्म्रतियों में हनुमानगढ़ जिले का पीलीबंगा इलाका जो उस वक्त श्रीगंगानगर जिले का ही भाग था ..है तो किशोरपन की यादें भी उसके आसपास से ही है पर सिर्फ पॉँच साल की गंगानगर की रिहायश ने मुझे उस शहर का बना दिया है जितना पंद्रह साल की रिहायश ने जयपुर को नहीं बनाया खैर वो सुबह वाला सन्देश बाँटते हुए उस शहर को याद कर रहा हूँ -
रेलवे रोड दे नजारे ना हुँदै
मटका चौक दे इशारे ना हुँदै
जे गोदारा कोलेज दियां कुडियां ते सारे गंगानगर दे मुंडे आवारा ना हुँदै
रोनक लगदी ना दुर्गा मंदिर रोड ते गुरुनानक स्कूल विच हुस्न दे पवाडे ना
हुँदै खालसा कोलेज रोड वी सोणा ना होंदा
जे जीन टॉप ते लक दे हुलारे ना हुँदै
पंजाबी ना समझ पाने वाले मित्रों से क्षमा सहित
7 comments:
Tussi hindi ke sath sath punjabi maibhi changa likhte ho ji
Tussi hindi ke sath sath punjabi mai bhi changa likhte ho ji .
tusee great ho ji,jaipur men rahte ho apne shahar ganganagar ko is tarah yad karte ho ,panjabi zuban se itni muhabat karte ho ,tuhanu salaam hai ji
panjabiyat de is wakhre jehe premee noo muhabbat bharya shukrana kubool howe
harjit barar
otawa canada
je tuhade warge shayer uthe janme na hunde...te fir sadhe warge bacceyan nu likhan da kida lagya na hunda...shri bahut ghat sharan agge lagda hai. shriganganagar, shrinagar...or yaad kariyo
लक दे हुलारे गंगानगरियों से बेहतर कौन समझेगा....
O IS TARAH NA BOL MERE YAAR
JE JAIPUR NA HONDA
TO TUSSI SAADHE KIS TARAH HONDE
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