Wednesday, May 14, 2008

जीओ जयपुर हजारों साल



ग़ालिब का एक मिसरा है - न होता मैं तो क्या होता


सोचा तो ये था कि चेन्नई के यात्रा संस्मरणनुमा भडास प्रकरण को पूरा करूंगा पर अपने शहर को यूं आतंकवाद के जद में घिरा पाकर स्तब्ध हूँ ,कल शाम से अनबोला सा हूँ ,मेरा शहर भी अब मुम्बई की तरह हादसों का शहर हों गया और ये कहते कोई गर्वानुभुति नही हों रही है। डेढ़ दशक से जिस शहर की आबो हवा में साँस ले रहा हूँ ,जो साँस की तरह है ,लाख बुराई कर लूँ,इसके बिना जीने की कल्पना नहीं कर पाता...उस शहर की शान्ति और खुशहाली को नज़र लग गयी ,अगर शहर के लोग माफ़ करें तो कहूंगा ख़ुद हमारी ही नज़र तो कहीं नहीं लग गई -राजस्थानी में कहावत है- 'सराही खिचडी दांत लागे ',या 'सरायो टाबर बिगड़ ज्यावे' इस दर्दनाक शर्मनाक हादसे ने जहाँ सरकार की नाकाबलियत को जाहिर किया वहीं शहर की एकता जिन्दादिली और मानवीयता से भी हमारा परिचय करवाया है ...

कल शाम ऑफिस में था राजस्थान पत्रिका के कार्टूनिस्ट अभिषेक भइया से लगभग उसी वक्त जब ये धमाके हो रहे थे फ़ोन पर बतिया रहा था तो वो मेरे ब्लॉग की पिछली पोस्ट में जयपुर के मौसम को प्यारा बताने पर असहमति जताते हुए कह रहे थे ' जयपुर में मौसम को छोड़कर सब अच्छा है,प्यारा है ',...वाकई ,पर अब एक दाग लग गया है इस चाँद में ...

अपने तकरीबन डेढ़ दशक के जयपुर प्रवास में कभी अपनी माँ को सिर्फ़ यह और इस तरह कहने के लिए फ़ोन नहीं किया कि 'मैं ठीक हूँ, कोई चिंता ना करें ' ...शुक्र है यहाँ से ५०० किलोमीटर दूर बैठी मेरी माँ ने तब तक (तकरीबन ८ बजे )टीवी नहीं ऑन किया था.. और पापा इवनिंग वॉक पर गए हुए थे ... वरना वो टीवी के सामने ही होते और...!!!


कव्वाल दोस्त फरीद साबरी आज कह रहे थे 'दुष्यंत भाई इस शहर को अमन पसंद ,शांत मानते रहे है,मुम्बई ना बसकर यहाँ रहकर कम कमाया, पर सुकून से रहे ...पर ये क्या हो गया ऐसे हादसे का तो कभी ख्याल ही नहीं आया...अल्लाह सबको सलामत रखे ',उन्होंने एक शेर सुनाया -'घर से निकलो नाम पता जेब में रखकर ,हादसे चेहरे की पहचान मिटा देते हैं...'


एक बात और बांटना चाहता हूँ कि मुझे अपने होने की खुशी का एहसास या कहूं दुनिया में थोडा बहुत ज़रूरी होने का एहसास भी इस दिन हुआ ,ये काला दिन मेरे लिए सुबह से ख़ास था,अपने जन्म दिन के दिन अपने शहर को इस तरह के हादसे में घिरा हुआ देखना किस तरह की फीलिंग दे सकता है, कल्पना करें..ख़ुद को कोसा भी..पर सुबह से शाम साढ़े सात बजे तक जितने लोगों ने याद नहीं किया , उसके बाद याद करने वालों की तादाद कहीं ज़्यादा थी ,इतने कम तकरीबन दो घंटे के अंतराल में इतने फ़ोन मुझे अब तक की इकतीस साल की जिन्दगी में कभी नहीं आए ..सब कुशल क्षेम पूछने के लिए ..कोई सेलिब्रिटी नही बना पर जो फीलिंग हुई उसे क्या नाम दूँ..भारत के हर कोने से कालीकट से जम्मू ,शिलोंग ,महाराष्ट्र ,गुजरात ,कोलकाता, हैदराबाद ,बेंगलोर ,दिल्ली,गोहाटी ,अम्बाला ,ग्वालियर, यहाँ तक कि निर्मम मानी जाने वाली फ़िल्म इंडस्ट्री के मित्रों ने भी कुशलता की जानकारी ली, कोपेनहेगन ,लंदन,कुवैत, केलिफोर्निया, मेसाचुसेट्स , टोरंटो ,दुबई तक से फ़ोन आए तो इस स्नेह और मुहब्बत से मेरी हालत क्या हो गयी कैसे बयान करूं ,मैं झुक गया ...पर कुछ दोस्तों और मेरी उम्मीद के मुताबिक एक फोन नहीं आया ...मुक्कमल जहाँ नहीं मिलता ..छोडिये ना ...'उसकी दुआएं हमेशा साथ चलती हैं,मैं तन्हाई में भी तनहा नहीं होता..'

अपने जन्मदिन पर ईश्वर से ऐसे तोहफे(!) की कामना कभी नही की, न करूंगा ..मेरे शहर के लोग खुश रहे , दुनिया खुश रहे आबाद रहे ...अमन चैन हो..... आमीन

7 comments:

सृजनगाथा said...

अतिवाद आज समूचे विश्व की समस्या है । जयपुर के बम धमाकों से उत्पन्न दुःसह स्थितियों से सारा देश और समुची दुनिया अवाक् है कि कब यह दौर थमेगा । कब शांति का मसीहा गाँधी सबके सिर चढ़कर बोलेगा । आपके दुख में हम साथ हैं । संवेदना को बचाये रखने के लिए यह क्रम जारी रहे और आप लिखते रहें... जयप्रकाश मानस

गौरव सोलंकी said...

मैं भी परसों शाम खाना खा रहा था, जब मुझे ये ख़बर मिली। मैंने सोचा भी नहीं था कि देश के सबसे शांत प्रदेश के इतने मासूम से शहर में कभी ऐसा भी हो सकता है।
बात वही है कि आतंकवादियों का उद्देश्य हर आदमी के भीतर खौफ़ पैदा करना है। एक की मौत होगी तो एक लाख लोगों के दिल में डर बैठेगा।
दुष्यंत जी, जयपुरवासियों ने जिस धैर्य का परिचय पिछले दो दिनों में दिया, वह बताता है कि मौसम चाहे अच्छा हो या न हो, जयपुर हज़ारों साल जियेगा...इन हादसों को भुलाकर।
आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं और जयपुर के लिए दुआएँ।

Anonymous said...

dushyant jee ham aapke saath hain...haadse par harduk samvedanaa aur janmdin par shubhkaamnaayen sweekaar karen

Anonymous said...

good expression..my hertiest feelings are with u and all jaipurites

कुश said...

जब कुछ इंसान मर जाते है
तो बहुत सारे इंसान मारे जाते है..

आपकी व्यथा समझ सकता हू.. मैं भी ठीक इसी से गुज़रा था.. अपने शहर को लहुलहान होते देखकर मन विचलित हो गया..

जयपुर जैसे शांतिप्रिय शहर में ऐसी घटना की उम्मीद नही की थी..

ईश्वर से प्रार्थना है हादसे के शिकार लोगो को शांति मिले और दोषियो को सज़ा..

Sufi said...

Dushyantji,
Aap ka yu udaas hona jayaz hai par aap bhool rahy hain Rajasthan Veeron ki dharti hai, Ak samay esi Rajasthan ne Aurangzeb ke cchaky cchuda diye thy to aab kya darna.
Tofaan se kaho palat jaye....
Hum bhi diye sa asar rakhty hain
Aandhiyon main jalty hain
Duniya badal sakty hain....

manish said...

b day ki belated badhai jo hua wo accha to katai nahin tha lekin i\uske baad yeh shahar jis tarah dhool jhaad kar khada hua usne dil main ek vishwas bhar diya ki yahn ka gulabi rang sirf imaarton per hi nahin hai yeh rang logon main kahin gahare tak utra hua hai, itna jarur hai ki is shahar ki masti aur khilandadpan ab shayad vaisa nahin rah paayega jaisa pahle tha