दोस्तों की मांग पर पेश है मैसूर में कृत्या अंतरराष्टीय काव्योत्सव-2010 में पढी प्रेम कविताएं --
1
तुम्हारे मिलने से
मिली सूरज की किरण
मेरी आँखों में हो गयी शामिल
और मेरी रोशनी
असीम हो गयी
सच
तुम मिली और
मैं उजालों से भर गया
इस अंधेरी रात में
मरुस्थल में उतरते चाँद की तरह....।
2-
अकेला चाँद और तुम
तारों की भीड़ में
टिमटिमाती तुम
उजाले की अंगीठी में
मेरी फूंक से जलती और
शोला बनती मेरी प्रिय
क्या तुम चाँद भी होती हो कभी !
किसी क्षण ....
3
तुम्हारी आंख के
काजल से चाँद को काला कर के
ढक दूँ
और तुम्हारे चेहरे पर
लिख दूँ
नाम चाँद का
काला चाँद फिर चुपके से आए
और शरमाये पूछे खुद मुझसे अपनी शिनाख्त ।
कोई काजल किसी की आंख का
अश्कों के मोती लेकर हथेली में आए
और प्यार की उजली किरणों से
दुनिया का कोई नक्शा बनाये
और
चाँद को सांवली सी दुल्हन बनाए
आंख में उजाले भर जाए ....
फिर किसी
बादल की डोली में बिठा के
दिल की गली में
आशियाँ मुहब्बत का सजाये
चाँद को मुकम्मल बनाये
याद को पागल बनाए
फिर कोई चुपके से आकर
चाँद को साजन बना दे
मरुस्थल के चाँद को
समंदर की छागल बना दे।
4
रात भर किया
दो कुर्सियों ने प्रेम
दो पेड़ों ने
बांहें फैलाकर किया आलिंगन
घर के दरवाजे की चैखटें
करीब आकर चुंबन लेती रहीं रात भर
प्रेम में डृबी रही
पंखे की पंखुडियां चुपचाप
एक ठिठुरती जाड़े की रात में
पति पत्नी लड़ते रहे रात भर
लगभग बिना ही कारण
जो कहते नहीं थकते-
'आय एम लकी बहुत अच्छी बीवी मिली है मुझे '
और
'मेरे पति बहुत प्यार करते हैं मुझसे '
आज फिर देखूंगा
सुबह सुबह दफ्तर में दो कंम्प्यूटर पाये गए
आपत्तिजनक अवस्था में
जो आलिंगनबद्ध रहे रात भर।
5
उन नितांत अकेले क्षणों में
जब ठीक आधी रात को
एक दिन विदा लेता है
और दूसरा दिन शुरू होता है,
याद करता नहीं हूं
याद आती हो तुम
जैसे कोई दीप किसी मंदिर का जल जाए चुपचाप
वो क्षण स्तब्ध से गिनते हैं
शोर के कदमों की आहटों को।
कोई खयाल तो नहीं हो तुम,
और कोई बेखयाल सी भी नहीं हो हरगिज।
प्रेम के उन नितांत अकेले क्षणों की परिधि में जो अधूरा रह गया हो
बिछड़े हुए प्रेम के दिये ही जलते हैं,
कोई मशाल नहीं।
6
ओ मेरे प्रिय !
रोशनी गुमसुम है और धुन जिंदगी की निस्तेज
प्रेम सूखे हुए पेड़ को सहलाना है क्या?
प्रेम रक्तबीज है
प्रेम बस प्रेम है
भोगने के लिए या भुगतने के लिए।
7
अब भी जब सूरज आके पूछता है
उससे मिलने जाना है क्या आज?
कहां मिलोगे? वहीं महिला छात्रावास?
चांद सुलाता है, मुझे लोरी देता है-
सो जा, वो सो गई है, आज फिर बिना तुम्हारा नाम लिए!
8
प्रेम के पल जीवन के सुंदरतम पल हैं
जो किसी के इंतजार में गुजरते हैं
कुछ भ्रमों को जीवन में पालकर
बहुत प्यारे भ्रम!
जीवन के श्रेष्ठ क्षणों के सूत्रधार
और
प्रेम के अर्थ को व्यर्थ होने से बचाने वाले वे निर्दोष से!
2 comments:
Sundar rachanae ...Shubhkamnae!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
dr. dushyant ko khoobsurat rachanon ke liye badhae
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