आज तीस जून है ...
तीन साल पूरे हो गए हैं एक घटना को ...पर जो अब भी ताजा है
वक्त को गुजरना है लम्हों को सहना है और दिल को तड़पना है ...
वो खुश होंगे .आज उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी उपाधि मिलने की पूर्व पीठिका बननी है ..फिर उपाधि मिलना औपचारिकता मात्र होगी ..खुश हूँ मैं..लाजिम है ...
दिन , अगर ऊपर वाला है तो वो ही तय करता है ..कब क्या होना है ..
मैं तो चाहता था.आज इस शहर में ना होऊं..पर फिर भी रह गया...शायद दिमाग मुझे कहीं ले जाना चाहता था और दिल रोकना....रुक गया हूँ.. ..
4 comments:
a deep line of sorrow can be felt thru your words.
wow ! what a expression,but with heart breaking 'DARD'.Its life Dushyant!
शब्दों में कुछ खोने का एहसास ......कुछ गिला .....कुछ रंजिश.....और कुछ दर्द ......कुछ तो बात है .....!!!!!!
hmmmm its always good to come clear
try u will feel better :)
Cheers !!
Post a Comment